Friday, February 6, 2009

~*~पति ने बनाया पत्नी का मंदीर~*~

सायद दुनिया का ये पहला किस्सा हे जहा पति ने अपनी प्यारी सी पत्नी की याद मे उसके गुजर जाने के बाद प्यारका मंदिर बनाया हो.सेलिब्रिटी के प्यार के किससे तो आम चर्चा मे रहते हे,यहातक की ख्यात लोगो के पत्नी प्रेम कीबाते भी मीडिया मे उच्छलती रहती हे चाहे वो सच्ची हो या फिर ख्यात लोग हे और उनके बारे मे अच्छा ही लिखनेकी आम बात से प्रभावित हो के लिखा हो. प्रेमिका की याद मे ताजमहल,मंदिर या महालय तो बनते ही हे,जैसे हमजानते हे अमिताभ बच्चन या फिर रजनीकांत जैसे अभिनेता के भी मंदिर बने हे. मगर यहा जो बात करने जा रहाहू वो एक आम श्रमिक पति ने अपनी पत्नी की याद मे बनाए मंदिर की हे.

जहा पढ़े लिखे इंसान तू तू में में मे अपनी ज़िंदगी गुज़ार देते हे...वहा एक मज़दूरी से अपना पेट पालने वाले इंसानसे क्या उमीद की जा सकती हे. अपना उल्लू सीधा करने के लए लोग एक दूसरे का ईस्तमाल करते हे ऐसे हालात मेगुजरात के छोटे से कस्बे का रहने वाला दिनेश गोस्वामी प्यार की उँचाई को आसमान तक लहरा रहा हे. जाम्जोध्पुर मे ट्रांसपोर्ट से मालासामान उतारने का और रेक्डी खींच के मज़दूरी करनेवाला ये इंसान प्यार कीगहराई को कितनी आसानी से नाप चुका हे. जो ना बड़ी बड़ी बाते करता हे ना उसे अपने नाम को उँचा करना हे. वोजीता ही प्यार मे हे और तभी वोही बना सकता हे एक प्यार का मंदीर अपनी पत्नी की याद मे. दिनेशगिरी गोस्वामीकी पत्नी का 2 साल पहले देहांत हो गया. उनकी पत्नी के मृत्यु के बाद उनके सर पर अपने 2 पुत्र और घर कीज़िम्मेवारी आन पड़ी. आर्थिकि स्थिति भी काफ़ी कमजोर थी. दो वक्त की रोटी के जुगाड़ मे ही रत ये इंसान मज़दूरीके साथ अपने बचो का भी ख़याल रखता था. इतना ही नही उसके दिल मे अपनी पत्नी के प्रति जो प्यार था वो भीबढ़ता जाता था जो इस दुनिया मे नही रही मगर उनके दिल मे हमेशा ज़िंदा थी. दिनेषभाई को अपनी पत्नी के प्रतिबहुत ही प्यार था और इसी प्यार ने उन्हे अपनी पत्नी का स्मृति मंदिर बनाने पे मजबूर किया.

वो कहते हे की मेरी पत्नी मूज़े इस जीवन सफ़र मे मजधार मे छोड के चल बसी मगर मे उसके प्यार को भूल नहीपाया हू और उसकी याद इतनी तीव्रता से महसूस करता हू की जैसे भगवान के विरह मे भक्त का हो. और इस लिएमैने तय किया की मे मेरी पत्नी का स्मृति मंदिर मेरे ही गाँव मे बनाउ. और ऐसे बना ये स्मृति मंदिर जिसमे उनकीपत्नी की खूबसूरत मूर्ति लगी हे और हररोज उसकी पूजा अर्चना होती हे.

जब ये किस्सा सुना दिल खुशी से झूम उठा...प्यार किसी से भी हो मगर सॅचा हे तो इंसान अपने प्यार के लिएकुच्छ भी कर गुजरता हे प्लेटोनिक लव प्यार का सुंदर एहसास जो ज़िंदगी जीने का बल देता हे.....हम जानते हे कीये सिर्फ़ एहसास हे मगर ऐसा लगता हे की जिसे हम चाहते हे वो हमारे पास हे और वही एहसास ज़िंदगी को रंगीनबना देते हे गम का साया भी अगर पड़ जाए तो प्यार का एहसास गम को भुला के ज़िंदगी को खुशी से भर जाताहे.

4 comments:

राज भाटिय़ा said...

अरे बाबा वो आरती केसे करेगा, अपनी बीबी की...

Udan Tashtari said...

धन्य है!!

Shailesh Jamloki said...

इसे पढ़ कर बस यही ख्याल मन मै आया ------>

जिंदगी एक एहसास है.. हर पल कोई प्यास है....

जिंदगी एक वचन भी तो है.. हम सब को निभाना पड़ेगा..

जिंदगी प्यार का गीत है.. इसे हर दिल को गाना पड़ेगा..

सादर
shailesh

Dr.Bhawna Kunwar said...

Acha hai..